विशेषकर जो अंडे को येन केन शाकाहार प्रचारित करने दुष्प्रयोग किया जाता है के जवाब में यथार्थ प्रत्यक्ष हुआ हैअ इस आलेख में।
2.
यथार्थ प्रत्यक्ष ग्राहियों पर क्षोभकों की क्रिया का परिणाम होता है, फिर भी प्रात्यक्षिक बिंब उनके कर्ता के लिए किसी न किसी रूप में सदा सार्थक होते हैं।
3.
मानस में जन्म लेने वाली चेतना के दो स्तर हैं जिनके विषय में भरत सिंह लिखते हैं कि चेतना का पहला धरातल है-साधारण चेतना का जिसमें सामाजिक मानव की चेतना में यथार्थ प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबिम्बित होता है।